इंदौर। मप्र की कमलनाथ सरकार के निर्देश पर मिलावट के खिलाफ चलाई जा रही मुहीम का इंदौर में मिलावटखोरों पर खौफ नजर नहीं आ रहा है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट भी इंदौर के ही है। राखी के पहले से चल रही इस मुहीम के बावजूद लगातार जो मामले पकड़े जा रहे है जिनमें दूषिव व अमानक खाद्य पदार्थों का भारी संग्रहण मिल रहा है। कुछ दिन पहले ही दस हजार किलो से अधिक घटिया क्वालिटी की बादाम व पिस्ता पकड़ी जाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ।इंदौर में दूषित व मिलावटी पनीर से लेकर देशी घी, दूध, खाद्य सामग्री, मावा आदि के साथ घटिया ड्रायफ्रूटस का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है । प्रदेश सरकार के निर्देश पर गत रॉखी के पहले से जिला प्रशासन द्वारा इसे पकड़ने के लिए सतत मुहीम चल रही है लेकिन इसके बावजूद छापों में बड़ी तादात में ऐसी सामग्री पकड़े जाने से यह स्पष्ट हो रहा है कि मिलावटखोरों पर मुहीम का प्रभावी असर नहीं हो रहा है। जानकार सूत्रों का मानना है कि जिला प्रशासन द्वारा ऐसे मामलो में छुटपुट कार्रवाई किए जाने से ऐसी स्थिति बन रही है। एक साथ छापेमारी की बजाय कभी कहीं एक दो जगह से मावा पकड़ लिया जाता है तो कभी कहीं से छुटपुट मिलावटी खाद्य पदार्थ पकड़ कर इतिश्री कर ली जाती है और बाकी की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। उदाहरण के लिए गत सप्ताह पलासिया क्षेत्र में गणगौर स्वीटस वाले के यहां निरीक्षण में भारी गंदगी व दूषित मिठाईयां मिली , लेकिन टीम ने इसी क्षेत्र की अन्य कई बड़ी स्वीटस व खाद्य पदार्थ वाले संस्थानों को चेक ही नहीं किया। यदि एक साथ इसी इलाके की इन संस्थानों पर चेकिंग की जाती तो शायद बड़ी सफलता मिलती।यही स्थिति शहर में मुरैना व अन्य स्थानों से आ रहे दूषित मावे की है। टीम ने शहर में एक दो मामले इसके पकड़ लिए जबकि यह खेल भी बड़े पैमाने पर चल रहा है।इसी तरह देशी के नाम पर नकली घी के मामले में तो इंदौर कुख्यात रहा है और दिनेश साहू जैसे बदमाशों पर पहले रासुका भी हो चुकी है, लेकिन इस बार की मुहीम में ऐसे तत्व पूरी तरह पकड़ से बाहर है जबकि देशी के नाम पर नकली घी का कारोबार शहर में जोरों से फलफूल रहा है ।ऐसे ही जिस तरह से यहां दस हजार किलों घटिया क्वालिटी की बादाम व पिस्ते पकडे गए इससे स्पष्ट है कि शहरवासियों को किस तरह के स्तरहीन डायफ्रूटस खुलेआम बेचे जा रहे है इन मिलावटी व दूषित रखाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए छुटपुट कार्रवाई का कोई असर नहीं हो रहा है बल्कि एक के यहां छापे के बाद अन्य बड़े मिलावटखोर अलर्ट हो जाते है। जानकारों का मानना है कि ऐसे में इनके विरुद्ध दस पन्द्रह टीमें बनाकर एक साथ छापे की संयुक्त कार्रवाई की जाए तो इसका प्रभावी असर दिरवाई दे सकता है।ऐसे ही मिलावट वोरों के खिंलाफ रासुका की कार्रवाई के लिए भी शासन द्वारा कहा गया है लेकिन इंदौर में पूर्व में एक कार्रवाई के बाद ऐसा कोई मामला देखने में नहीं आया जिसमें मिलावटखोर पर रासुका की गई हो।
अधिकारियों की नज़र बंदी से मिलावटखोर हुए मालामाल