प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए घोटाले में निगम आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों के विरुध्द पेश आवेदन स्वीकार

रतलाम। प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए करीब 13 लाख रुपये के घोटाले में नगर पालिक निगम के आयुक्त ए.के.सिंह, कार्यपालन यंत्री सुरेशचन्द्र व्यास, निगम के लेखा अधिकारी, ऑडिटर व कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान, पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी, पूर्व पुलिस अधीक्षक अमित सिंह को बचाकर अन्य आरोपियों के विरुध्द प्रस्तुत किए चालान में फरियादी श्रीमती ममता श्रीवास्तव की ओर से उनके अधिवक्ता अमित कुमार पांचाल की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्री डीआर कुमरे साहब व्दारा स्वीकार कर थाना स्टेशन रोड़ थाना प्रभारी को आदेशित किया गया है कि वह फरियादी की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र में उल्लेखित तथ्यो एवं व्यक्तियों के सम्बन्ध में अन्वेषण किए जाने और नियमानुसार कार्यवाही कर आवेदन में उल्लेखित व्यक्तियों के विरुध्द अपराध पाया जाने पर चालान पेश करें।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए घोटाले का खुलासा श्रीमती ममता श्रीवास्तव ने ही किया था और पुलिस अधीक्षक अमितसिंह, कलेक्टर रुचिका चौहान को लिखित में शिकायत की थी। इस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की जाकर षडयंत्रपूर्वक निगम आयुक्त एस.के.सिंह., पूर्व पुलिस अधीक्षक अमित सिंह, कलेक्टर रुचिका चौहान ने कार्यपालन यंत्री सुरेश चन्द्र व्यास को फरियादी बनाकर थाना स्टेशन रोड़ पर सेडमेप कम्पनी के कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपक कुमावत के विरुध्द अपराध दर्ज कराया। ममता श्रीवास्तव की ओर से माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किए गए आवेदन पत्र में बताया है कि जिला कलेक्टररुचिका चौहान ने कानून के विपरीत दिनांक19.03.2019 को उसकी ओर से की गईशिकायत पर की गई जांच में आदेश पारित करनगर पालिक निगम के अधिकारियों कोलापरवाही का दोषी पाया और उनके विरुध्दविभागीय जांच किए जाने का आदेश दियाजबकि प्रत्यक्ष रुप से नगर पालिक निगम केसुरेशचन्द्र व्यास, आयुक्त एस.के.सिंह, सम्बन्धितऑडिटर, लेखा विभाग के अधिकारी इस मामलेके आरोपी थे। आवेदन में बताया गया कि थानास्टेशन रोड़ व्दारा निगम के इंजीनियर सुहासपण्डित और एम.के.जैन को इस आधार परगिरफ्तार करना बताया कि जिस फर्जी सूची केआधार पर भुगतान हुआ उस पर इन दोनोंअधिकारियों के हस्ताक्षर थे जबकि जिस सूचीके आधार पर भुगतान हुआ उस पर  दीपककुमावत, उपयंत्री सुहास पण्डित, प्रभारीसहायक यंत्री एम.के.जैन, कार्यपालन यंत्रीसुरेशचन्द्र व्यास व एजिस के राजकुमार सिंह केहस्ताक्षर हैं। इस सूची के आधार पर ही लेखाविभाग, ऑडिट विभाग व्दारा जांच होने के बादआयुक्त एस.से.सिंह व्दारा भुगतान आदेश जारीकिया गया।  थाना स्टेशन रोड़ व्दारा न्यायालयमें पेश किए गए चालान में नगर पालिक निगमव्दारा लिखी गई नोटशीट क्रमांक 84 से 87 परकिए गए उल्लेख अनुसार कुल 294 हितग्राहियोंको 50,000 रुपये के मान से 1,47,00000 काभुगतान आदेश दिनांक 25.05.2018 कोकार्यपालन यंत्री सुरेशचन्द्र व्यास व्दारा नगरपालिक निगम के अकाउण्ट विभाग को दियागया। इसी दिन नोटशीट अकाउण्ट विभाग मेंभेजी गई और इसी दिन इस राशि का भुगतानकरने की अनुशंसा की गई।  इसी तरह नोटशीटक्रमांक 90 से 94 पर दिनांक 04.06.18 को2,63,50,000 का भुगतान 527 हितग्राहियों केबैंक खातों में किए जाने की अनुशंसा कर इसीदिनांक को उक्त राशि जारी किए जाने कीअनुशंसा की गई। दिनांक 25.05.2018 कोकार्यपालन यंत्री सुरेशचन्द्र व्यास व्दारा नगरपालिक निगम रतलाम के अकाउण्ट विभाग कोपत्र लिखकर 1,47,00000 (एक करोड़सैतालीस लाख रुपये) जारी किए जाने का पत्रलिखा। जिसका भुगतान आदेश नगर पालिकनिगम रतलाम के आयुक्त एस.के.सिंह व्दारादिया गया, जिस पर उनके भी हस्ताक्षर हैं। एकही दिन में करोड़ों रुपयों का भुगतान किया जानायह दर्शाता है कि मामले में हुए घोटाले में ये सभीअधिकारी शामिल हैं। 
नगर पालिक निगम के कार्यपालन यंत्रीसुरेशचन्द्र व्यास ने दिनांक 10.09.2018 को(पृष्ठांकन क्रमांक 930/1/लोनिवि/2018रतलाम दिनांक 15.09.2018) स्वयँ थानाप्रभारी स्टेशन रोड़  पत्र जारी कर बताया गयाकि - हितग्राहियों के बैंक खाते का विवरण दर्शानेवाली सूची पर सेडमेप, एजिस व्दारा हस्ताक्षरकिए जाने के पश्चात भुगतान की कार्यवाही केलिए सूची निगम के उपयंत्री को दी जाती है।उपयंत्री व्दारा उसका परीक्षण किया जाकरप्रभारी सहायक उपयंत्री व्दारा परीक्षण के बादकार्यपालन यंत्री को दी जाती है, कार्यपालन यंत्रीव्दारा आयुक्त को सूची भेजी जाती है, आयुक्तव्दारा लेखा विभाग को सूची भेजी जाती है,लेखा विभाग व्दारा आयुक्त को दोबारा सूचीभेजी जाती है, आयुक्त व्दारा आडिट को सूचीभेजी जाती है, इसके बाद लेखा विभाग वऑडिट विभाग के अनुमोदन के बाद आयुक्तव्दारा ऑनलाइन अनुदान की राशि हितग्राही केबैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। इस पत्र से हीस्पष्ट है कि सम्पूर्ण भुगतान की प्रक्रिया में येसभी अधिकारी शामिल होते हैं। मामले केअनुसंधान अधिकारी और पुलिस के वरिष्ठअधिकारी यह भलीभांति जानते हैं कि इसघोटाले में कौन-कौन दोषी हैं लेकिन उनके व्दाराकानून के विपरीत मनमर्जी कर अन्य आरोपियोंसे षडयंत्र कर अनुसंधान किया है, जिसका लाभलगभग सभी आरोपियों की जमानत होकर प्राप्तकर लिया गया है।