इंदौर। नगर निगम इंदौर में अपर आयुक्त बनकर आए देवेंद्र सिंह को 5 वर्ष पूरे हो गए हैं । तब से लेकर अब तक नगर निगम देवेंद्र सिंह का कोई विकल्प तैयार नहीं कर पाया है। देवेंद्र सिंह 2 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो गए थे। लेकिन स्वच्छता अभियान, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट,रिमूवल में उनकी सेवाओं की जरूरत को देखते हुए पूर्व निगम आयुक्त मनीष सिंह ने उन्हें राज्य सरकार से 2 वर्ष की संविदा नियुक्ति दिलवा दी थी । अब यह 2 वर्ष की अवधि भी आगामी 23 नवंबर को समाप्त हो रही हैं। देवेंद्र सिंह ने अटकलों को विराम देते हुए कहा कि अब वे किसी भी शर्त पर संविदा नियुक्ति नहीं लेंगे । देवेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ना ही इस बार संविदा नियुक्ति के लिए कोई आवेदन किया है और ना ही भविष्य में वे आवेदन करेंगे। देवेंद्र सिंह ने कहा कि अब वे अपने परिवार के साथ पूरा समय बिताएंगे। सवाल यह उठता है कि नगर निगम इन 5 वर्षों में देवेंद्र सिंह का विकल्प नहीं तलाश पाया। देवेंद्र सिंह को भवन अनुज्ञा, जन कार्य विभाग, रिमूवल विभाग कालोनी सेल स्थापना कोंडवाडा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालने का अच्छा खासा अनुभव रहा है और उन्होंने कई मौकों पर अपने अनुभव और सूझबूझ का परिचय भी दिया है। देवेंद्र सिंह की व्यूह रचना के आधार पर ही शहर में गणेश गंज बम्बई बाजार बियाबानी,जूनी इंदौर जैसे बड़े-बड़े रिमूवल पशुओं के बाड़े और गुडों के मकान तोड़ने की मुहिम अंजाम दिया जा सका। देवेंद्र सिंह की कार्यशैली के कारण ही नगर निगम की सभी कर्मचारी यूनियनों का निगम प्रशासन से बेहतर तालमेल बना हुआ है । इन 5 वर्षों में कभी भी हड़ताल जैसी नौबत नहीं आई। देवेंद्र सिंह की छवि एक दबंग अधिकारी की रही है। छोटे-मोटे नेता पार्षद कर्मचारी नेता उन पर प्रभाव नहीं डाल पाए ना ही दबाव में कोई काम कराने की हिमाकत कर पाते हैं। एक नगर पंचायत से अपनी सेवा प्रारंभ करने वाले देवेंद्र सिंह 12 वर्ष तक देवास नगर निगम एक वर्ष बुरहानपुर नगर निगम के आयुक्त रहे हैं। देवेंद्र सिंह की छवि पूरे कार्यकाल में नंबरदार और ठाकुर साहब की रही है। वे जहां भी होते हैं उनके 10-12 अंगरक्षक साथ होते हैं। अब जब 23 नवंबर को उनका संविदा कार्यकाल पूरा होने जा रहा है तब निगम के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि जनकार्य, भवन अनुज्ञा ,रिमूवल स्थापना कालोनी सेल जैसे महत्वपूर्ण विभाग किस अपर आयुक्त को दिए जाएं। क्योंकि वर्तमान में जितने भी अपर आयुक्त हैं वे इन विभागों को संभालने के योग्यता नहीं रखते हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद वर्तमान में निगम की परिस्थितियां भी विपरीत हैं।ऐसे में या तो एक और अपर आयुक्त को लाया जाएगा जो नगरीय प्रशासन में काफी अनुभवी हो या फिर आयुक्त स्वयं इन महत्वपूर्ण विभागों की जवाबदारी संभालेंगे।
5 साल में नगर निगम नहीं तैयार कर पाया देवेंद्र सिंह का विकल्प