अवैध हथियारों की खेती से देश भर में बदनाम निमाड़

मध्यप्रदेश। देश के लिये सुरक्षाबल सहित खुफिया एजेंसियों के लाखों जवानों नें इस देश की सुरक्षा, एकता-अखंडता को बनाये रखनें के लिये अपनें प्राणों की आहूती दी है। एसे ही जवानों की कुर्बानी के दमपर हम सुरक्षित हैं। सेना/पुलिस सहित फ्रंट पर कार्यकर रहे जवानों की शहादत तो दुनिया देखती रही है। उन्हें शहीद का दर्जा सहित उनके परिवार की आर्थिक मदद सरकारें करती रही हैं लेकिन एसे हजारों,भारत की मिट्टी के लाल हैं जिन्होनें आप- हमारे जैसे लाखों लोगों की मौत के लिये रची गई साजिशें ना सिर्फ विफल की हैं अपितु शहीद भी हुए हैं लेकिन देश की रक्षा में गोपनीय कार्य करनें के दौरान शहीद हो जानें के बावजूद इनके बलिदान को हम नहीं जान पाते।ऐसे लोगों की कुर्बानियों की जितनी बातें की जाए कम होगीं क्योंकि आपको जानकर हैरानी होगी कि देश की मिट्टी के लिए मर मिटने वाले ऐसे हजारों लोगों के परिवार तक को नहीं पता होता कि उनके घर का चिराग आखिर किनकी रक्षा के लिए बुझ गया।  इसलिए हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे शहीदों के लिये हमारी हर सांस कर्जदार बनी रहे । पिछले 10 साल पहले आज ही के दिन यानि 29 नवम्बर को खण्डवा में एसे ही गोपनीय रूप से कार्य करनें वाली एजेंसी के जवान सीताराम यादव की हत्या देश विरोधी मानसिकता रखनें वाले लोगों द्वारा कर दी गई थी । दरअसल सीताराम यादव उन दिनों प्रतिबंधित संगठन सिमी के एक्टिव नैटवर्क का तेजी से भांडा फोड़ रहे थे । कुछ बड़े नाम की तरफ तेजी से बड़ रहे थे,इसी के चलते सीताराम यादव की हत्या कर दी गई थी, ऐसी जानकारियां निकलकर सामने आई थी। सीताराम यादव की हत्या करने के बाद आतंकियों द्वारा भागने के दौरान दो अन्य खंडवा वासियों जिनमें संजय पाल एवं रविशंकर पारे है कि भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ACACU की टीम सीताराम यादव सहित खुफिया एजेंसियों के उन सभी लोगों को नमन करती है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और जिनके बारे में इस देश को पता तक नहीं है । खुफिया एजेंसियों के लिए नए-नए चैलेंज आते रहते हैं।इन दिनों खुफिया एजेंसियों के होश आम आदमी द्वारा तेजी से हथियार खरीदने को लेकर उड़े हुए हैं । निमाड़ जिले के कुछ गांव भारत में अवैध हथियार बनाने को लेकर प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में रहने वाले सिकलीगर अवैध हथियार बनाकर देश भर में बेचते रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में पकड़े गए अवैध हथियार,निमाड़ से उन क्षेत्र में पहुंचे थे।  देश के अलग-अलग हिस्सों में निमाड़ के हथियार पहुंचने के अलावा खंडवा सहित निमाड के कुछ लोग लगातार अवैध हथियार खरीद रहे हैं। खरगोन के भगवानपुरा में खंडवा के फकीर मोहल्ले के रहने वाले दो युवक जो अवैध हथियार खरीदते हुए पुलिस की टीम ने पकड़े हैं के अलावा इंदौर में भी पिछले दिनों खंडवा के युवक अवैध हथियार खरीदते हुए पकड़ाये थे। बुरहानपुर में भी पुलिस की टीम ने अवैध हथियारों का जखीरा सिकलीगर से बरामद किया है जो डिलीवरी देने के लिए जा रहा था। अब सवाल यह है कि अगर खंडवा के फकीर मोहल्ला के पकड़े गए युवक हथियारों के दलाल है तो वह आखिर हथियार बेच किनको रहे थे और जो लोग हथियार खरीद रहे हैं,वह किस लिए हथियार खरीद रहे है ? बड़ी एजेंसियों के सूत्रों की माने तो देश में आम आदमी द्वारा भी हथियार खरीदने का प्रचलन बढ़ गया है । अगर ऐसा है तो आम आदमी क्यों हथियार खरीद रहा है? इस सवाल का जवाब एजेंसियों को जरूर सामने लाना चाहिए ।इसके अलावा कई ऐसे सवाल है जिनके उत्तर सामने नहीं आ पाए हैं। खंडवा के बदमाश सलीम लंगड़े के पास अवैध हथियार बरामद हुआ था जिससे उसने एक मासूम को गोली मारी थी,जिससे खंडवा में दहशत फैल गई थी। पुलिस ने उसका एवं हथियार बेचने वाले भीकनगांव के दलाल का जुलूस निकाल कर दहशत तो कम कर दी, लेकिन उस दलाल ने खंडवा में किन-किन लोगों को हथियार सप्लाई किए थे,इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है । के अलावा खरगोन के भगवानपुरा में जो दो युवक खंडवा के हथियार के साथ पकड़ाए हैं जिनके संबंध में बात निकल कर आ रही है कि वह हथियारों के दलाल बन चुके हैं नें खंडवा सहित अन्य किन किन जिलों के लोगों को हथियार सप्लाई किए हैं,उनका खुलासा भी पुलिस अथवा एजेंसियों को करना चाहिए,ताकि अवैध हथियारों के धंधे पर लगाम लगाई जा सके । गौरतलब है कि ऐसे ही अवैध हथियारों से खंडवा एटीएस के जवान सीताराम यादव सहित दो अन्य खंडवा वासियों की हत्या कर दी गई थी । अवैध हथियारों के साथ पकड़े गए लोगों की जानकारी प्राथमिक तौर पर तो पुलिस साझा कर देती है,लेकिन वह हथियार किन किन के द्वारा खरीदे जाने थे और क्यों खरीदे जाने थे यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है जिसका जवाब अक्सर नहीं मिल पाता है, जिसको लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की शंकाएं जन्म लेती है और कहीं ना कहीं आम जनमानस के मन में असुरक्षा की भावना भी विकसित होती है।इस संबंध में एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि खुफिया एजेंसियों का काम गुप्त रूप से चलता है। लंबे समय से एजेंसियों द्वारा इस सब्जेक्ट पर कार्य करने के बावजूद भी क्यों पुलिस/एजेंसीयां अभी तक इस अवैध धंधे के पूरे नैक्सस को खत्म नहीं कर पाई ? क्यों अभी भी अवैध हथियारों का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है ?  एजेंसियों का कहना है कि वह लगातार इस संबंध में काम करती है लेकिन नए-नए लोग इस क्षेत्र में आ रहे हैं । एक गुट को वह खत्म करते हैं,दुसरा नया गुट खड़ा हो जाता है। अवैध हथियार का निर्माण करने वाले सिकलीगरों को इस धंधे से दूर करना इसका स्थाई समाधान है । निमाड़ के सिकलीकरो द्वारा बनाए गए हथियार देश के दुश्मनों के हाथ भी पहुंच रहे हैं। क्या सिकलीगर देश के दुश्मनों के साथ हैं ? इस देश की मिट्टी के लिये अपनी जान कुर्बान करनें वाले,देश के दुश्मनों को अपनें द्वारा बनाये गये हथियारों से धूल चटानें वाले सिकलीगरों नें क्या इस देश के उन्ही दुश्मनों से चंद रूपयों के लिये हाथ मिला लिया है? सबसे बड़ा सवाल सरकार पर खड़ा होता है। सरकार को एजेंसीया लगातार रिपोर्ट करती रही हैं कि अवैध हथियारों के धंधे का स्थाई समाधान,हथियारों का निर्माण करने वाले सिकलीगरों को रोजगार देना है लेकिन  इसके बावजूद सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया कई बार सिकलीगर रोने खुद प्रशासन से इस संबंध में मांग की कि हमें रोजगार उपलब्ध कराया जाए ताकि हम इस धंधे को छोड़ दें लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार को इस मामले में कुछ लेना देना नहीं है । शायद सरकार कुछ बड़े मामले का इंतजार कर रही है,जब उसकी खूब किरकिरी होगी तब वह इस संबंध में अपना ध्यान आकर्षित करेगी । आपको यह बताना भी जरूरी है कि निमाड़ के बनाए हथियार कश्मीर के आतंकियों के हाथों में भी पहुंचने लगे हैं और किस बात का इंतजार सरकार कर रही  है।