जमीन पर शिला रखकर कर दिया उद्धघाटन...

इंदौर 19 फरवरी बुधवार। इंदौर महापौर ओर निगम परिषद की विदाई से  एक दिन पहले इंदौर के भाजपा संगठन में हुवे विवादों का सबसे बड़ा केंद्र पूर्व महापौर श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गोड़ का विधानसभा क्षेत्र रहा जहा भाजपा परिषद के द्वारा सावर्जनिक  स्थलों  का ताबड़तोड़ भूमि पूजन करके अपने अपने कार्यकर्ताओं को साधने और संतुष्ट करने की भरसक कोशिश की गई पर हर जगह गिनती के कार्यकर्ता ही पहुंचे। कार्यकर्ताओ को संतुष्ट करने की कोशिश में शहीद हेमू कालानी मंडल के वर्तमान निर्वाचित मंडल अध्यक्ष सचिन जेसवानी को सावर्जनिक रूप से बेइज्जत भी किया गया।
खुद को अनुशासित राजनेतिक पार्टी कहलाने वाली भाजपा के पार्षदों ने ही उड़ाई पार्टी के नियम और अनुशासन तथा संगठन की खुल्लेआम धज्जियां। मामला कुछ इस प्रकार है कि भाजपा की निगम परिषद के आखरी दिन के एक दिन पहले दिनांक 18 फरवरी को हेमू कालनी मंडल के वार्ड क्रमांक 66 में करीब 4 सावर्जनिक स्थानो का भूमि पूजन किया गया और जो वहां शिलाएं लगाई जानी थी उसमें महापौर, कमिश्नर,वार्ड पार्षद, मंडल अध्यक्ष, वार्ड अध्यक्ष के नाम और पद लिखना तय हुवे। उन शिलाओं में जानबूझकर वर्तमान मंडल अध्यक्ष सचिन जेसवानी की जगह पर पूर्व मंडल अध्यक्ष महेश कुकरेजा का नाम लिखा गया इतना ही नही वर्तमान मंडल अध्यक्ष सचिन जेसवानी को बुलाया तक नही गया क्या यह समझा जाये कि इन दोनों पार्षदों को अपनी पार्टी के मंडल अध्यक्ष का नाम नही पता या फिर जानबूझकर अपनी ही पार्टी के मंडल अध्यक्ष को बेइज्जत करनी की पहले से ही प्लानिग कर रखी थी।
 वार्ड क्रमांक 65 में तो यहां की पार्षद सरिता मंगवानी ने वार्ड क्रमांक 66 की पार्षद कंचन गिदवानी से एक कदम आगे बढ़ मनमानी कर  मंडल अध्यक्ष और वार्ड अध्यक्ष का नाम नही लिखवाते हुवे सिर्फ महापौर ,कमिश्नर, और खुद का नाम लिखवाया तथा पूर्वा और वर्तमान मंडल अध्यक्ष का नाम न लिखवाने के साथ साथ दोनों को कार्यक्रम में भी नही बुलाया। बताया जाता है कि पार्षद सरिता मंगवानी की सचिन जेसवानी और महेश कुकरेजा से नही बनती है इनका राजनीतिक विवाद पिछले कई सालों से चलता आ रहा है।
प्रदेश में भाजपा से पहले ही कार्यकर्ता उपेक्षित होने के कारण भाजपा से दूर हो चुके थे जिसका भुकतान भी  भाजपा को सत्ता गवाकर करना पड़ा। और भाजपा परिषद के खात्मे के एक दिन पहले  सावर्जनिक स्थलों के उद्घाटन में भी भाजपा ने कई कार्यकर्ता को तो बुलाया तक नही गया और मंडल अध्यक्षो की पार्षदों से तनातनी होने के बाद अब होने वाले नगर निगम के चुनावों में भी कुछ बदलाव जरूर दिखेगा।*