फोटो एडिटर को 100 प्रतिशत बकाया वेतन सहित कार्य पर रखने का आदेश...

इंदौर। गुरुवार का दिन नई दुनिया के लिए तगड़ा झटके वाला रहा। इस अखबार के फोटो एडिटर को इंदौर लेबर कोर्ट ने 100 प्रतिशत वेतन के साथ कार्य पर ससम्मान रखने के निदेश जारी किए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नई दुनिया के फोटो एडिटर अभय तिवारी को इंदौर लेबर कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए नौकरी से हटाने से अब तक का 100 प्रतिशत (पूरा वेतन हर माह के समान)   वेतन देने का फैसला सुनाया है।  इस विजय के साथ ही नई दुनिया को एक ओर झटका लगा है।क्या था मामला......अभय तिवारी नई दुनिया में फोटो एडिटर थे उन्हें अखबार प्रबंधन ने ट्रांसफर पर जाने या इस्तीफा देने के निर्देश दिए थे। इस पर अभय तिवारी ने बाहर जाने की बजाए नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अभय तिवारी 8-10 दिन इधर-उधर भटकते रहे और उन्हें अपने इस्तीफे पर अफसास हुआ। इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अभिभाषक बालकृष्ण प्रधान से सम्पर्क किया तथा सारे मामला बताया। इस पर बालकृष्ण प्रधान ने कहा कि आपके इस्तीफा दिए कितना समय हुआ तो उन्होंने कहा करीब 15 दिन हो चुके हैं। इसके बाद बालकृष्ण प्रधान ने अभय तिवारी को विश्वास दिलाया कि आपको नौकरी पर मैं पुनः रखा सकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश है कि इस्तीफा देने के 30 दिन के अंदर आप पुनः इस्तीफा वापस ले सकते हैं।इस पर बालकृष्ण प्रधानजी ने तुरंत एक आवेदन इस्तीफा वापस लेने का बनाकर अभय तिवारी को दिया और उन्होंने नई कार्यालय भेजा, लेकिन इसके बावजूद नई दुनिया प्रबंधन ने उन्हें काम पर नहीं रखा। और इसके विरूद्ध अदालत कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसका निर्णय अभय तिवारी के पक्ष में हुआ ।.  सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना आधार.....अभय तिवारी के केस में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आधार बना और उन्होंने कैस जीत लिया।  वैसे अभय तिवारी 5 वर्ष से अधिक समय से बेरोजगार रहे। इसके सबूत के तौर पर उन्होंने शपथ देकर अपने को बेरोजगार बताया था, जिस पर कोर्ट ने अभय तिवारी को केस लगाने के दौरान से निर्णय होने के सालों का पूरा वेतन (प्रति माह वेतन के हिसाब) से देने का निर्णय सुनाते हुए उन्हें सम्मान काम पर रखने का फैसला सुनाया।इस फैसले के बाद उन सभी साथियों  के चेहरे खिल गए हैं, जिनका नौकरी का केस चल रहा है। इस ऐतिहासिक फैसले की चर्चा आज कोर्ट में चलती रही।  फैसले के बाद वरिष्ठ अभिभाषक बालकृष्ण प्रधान, भारतसिंह ठाकुर के साथ अभय तिवारी को बधाइयां का सिलसिला चला। इस फैसले से सीख लें  साथियों इस फैसले वे साथी सीख लें जो इस्तीफा देने के बाद गुपचुप घर बैठ जाते हैं। आप इस्तीफा देने के बाद भी 30 दिन के अंदर इस्तीफा वापस ले सकते हैं। इसके लिए आपको आवेदन देना पड़ता है। यह आवेदन अपने अभिभाषक की सलाह से ही बनावाएं। पूरा श्रेय अभय तिवारी को... ....  साथियों इस केस में विजय के लिए वरिष्ठ अभिभाषक बालकृष्ण प्रधान और भारतसिंह ठाकुर तो बधाई के पात्र है, लेकिन इस विजय का पूरा श्रेय  अभय तिवारी की  मेहनत को जाता है । श्री तिवारी हर तारीख पर लेबर कोर्ट में डटे रहते हैं और उनके चेहरे पर काफी मायूसी नहीं देखी गई। जब भी मैं उनसे मिलता है तो मुस्कुराते हुए मिलते थे और तारीख और केस के बारे में ही बात करते हैं।  इसी नतीजा यह रहा कि उनकी मेहनत रंग लाई और वे विजयी हुए।  अभय तिवारी को सलाम। नहीं बताते मालिक को हकीकत. फैसले के बाद यह साबित हो गया है कि इंदौर में बैठे अधिकांश अखबार प्रबंधक केस की सच्चाई से अपने मालिकों को अवगत नहीं कराते हैं। हर केस में मालिकों से यही कहा जाता है कि केस अपने जीत रहे हैं, लेकिन फैसला आने के बाद अखबार मालिक के हाल क्या होते वे मालिक ही जानते हैं। इस निर्णय से नई दुनिया में कार्य करने वाले अधिकांश साथियों का मनोबल बढ़ेगा। वैसे साथियों आज नई दुनिया के एक खास ने बताया कि अगर इस्तीफा वापसी नोटिस स्वीकार कर लेते तो आज नई दुनिया को यह दिन देखना नहीं पड़ते। इसमें पूर्ण रूप से इंदौर का अखबार प्रबंधन दोषी है और इस फैसले के बाद कई पर गाज गिरना निश्चित है। राजएक्सप्रेस ने केस के बाद  यादव को सौंपा कार्यभारसाथियों राजएक्सप्रेस के भी नौकरी केस में दो साथी जीते थे। इनमें से एक राजेन्द्र यादव ने ज्वाइनिंग के लिए वकील व्दारा तैयार  आवेदन राज एक्सप्रेस प्रबंधन को सौंपा, जिसके एवज में उन्हें राजएक्सप्रेस ने पूर्व के समान ही कार्य सौंपा है। दूसरे साथी ने अभी ज्वाइनिंग के आवेदन नहीं दिया है इसलिए वे नौकरी ज्वाइनिंग नहीं कर सके हैं।आज अभय तिवारी के संबंध में कुछ साथियों को खबर सुनाई थी तो उनका कहना था कि केस जीतने के बाद कर्मचारी को नौकरी पर नहीं रखा जा रहा है। इसलिए लेबर कोर्ट से 15 दिन पहले जीते राजेन्द्र यादव का उल्लेख किया जा रहा है। साथियों अगर कोर्ट के निर्णय के बाद भी कार्य पर नहीं रखा जाता है तो इसके लिए भी कानूनी डंडा है, जिनका इस्तेमाल किया जाता है।  जिन साथियों के साथ ऐसा हुआ है वे अपने वकील से आगे की कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करवाए।