देश । तिथि संशय को लेकर हो रहे असमंजस्य को लेकर ज्योतिष शिक्षण जन कल्याण समिति की बैठक पं.विष्णुकुमार शर्मा (सिद्धविजय पञ्चाङ्ग निर्माण कर्ता-सुखेड़ा ) की अध्यक्षता में स्थानीय राममंदिर पर हुई ,
बैठक में पं.शर्मा ने बतलाया कि 1968 में विज्ञान भवन , दिल्ली में 200 से अधिक पञ्चाङ्ग कर्ता की बैठक भारत सरकार व पञ्चाङ्ग शोधन समिति क़े संयुक्त तत्वाधाम में हुई थी जिसमें चित्रपक्षीय को सर्वसम्मति से पूर्ण मान्यता दी गई थी , ग्रहलाघन पद्धति अभी भी प्राचीन पद्धति के अनुरूप चल रहे ही जबकि आज अतिसुक्ष्म गणित की जा सकती हैं ,
परन्तु कुछ पञ्चाङ्ग निर्माणकर्ता आज भी पुरानी पद्धति से पंचांगों का निर्माण कर रहे हैं जबकि उसमे शोधन की अतिआवश्यकता हैं , भारत के 95 प्रतिशत पञ्चाङ्ग चित्रपक्षीय सूक्ष्म गणित को अपनाते हैं जो शुद्ध शास्त्रसंवत व वेधशाला द्वारा सिद्ध है , राजस्थान में चित्रपक्षीय दृष्य गणित को पूर्ण मान्यता दी जाती हैं , भारत सरकार द्वारा 13 भाषाओ में निकलने वाला राष्ट्रीय पञ्चाङ्ग भी इसी गणित को अपनाता हैं । पं.शर्मा जी ने बतलाया कि 13 मार्च को प्रातः सूर्योदय उपरान्त 8:51 पर पंचमी आरम्भ हो रही हैं जो 14 को सूर्योदय पूर्व 6:16 पर ही समाप्त हो रही हैं इसी कारण पंचमी का क्षय हो रहा हैं शास्त्र मान्यतानुसार उपस्तिथ तिथि मान्य हैं अतः 8:51 के उपरान्त उपस्तिथ तिथि रंगपंचमी हेतु उपयुक्त हैं । इसी प्रकार प्तमी तिथि 15 को सूर्योदय पूर्व 4:26 पर आरम्भ हो रही हैं जो 16 को सूर्योदय पूर्व 3:20 को समाप्त हो जाएंगी इसी कारण शितलासप्तमी 15 को ही मान्य रहेंगी ,कुछ लोगो मे ये भ्रामक प्रचार हैं कि रविवार को पीपल की पूजन नही की जाती इस विषय पर आचार्य जीवन पाठक( जड़वासा ) ने बतलाया कि बतलाया कि जहाँ तिथि का महत्व होता हैं वहाँ वार को प्राथमिकता नही दी जाती ,
इसी प्रकार दशमी तिथि का आरम्भ 18 को सूर्योदय पूर्व 3:25 पर हो रहा हैं जो अगले दिन 19 को सूर्योदय पूर्व 4:27 पर समाप्त हो रही हैं इस हेतु दशामाता पूजन 18 को ही मान्य हैं , इस बैठक लिये गये निर्णय को , उज्जैन जीवाजी वेधशाला अधीक्षक श्री गुप्त जी , जोधपुर से पं.अभिषेक जोशी ( जोशी जी का पञ्चाङ्गनिर्माणकर्ता ) , पं.भगीरथ जोशी ( भादवामाता पञ्चाङ्ग कर्ता-नीमच ), पं.रमेश पण्ड्या ( कालचक्र पञ्चाङ्ग कर्ता-राजोत) ने पूर्ण रूप से मान्यता प्रदान की , बैठक में समिति अध्यक्ष पं.ओमप्रकाश शर्मा ,पं.जितेंद्र नागर , पं.अशोक वशिष्ठ , पं.सुरेन्द्र शर्मा , पं.धर्मेन्द्र व्यास , पं.चेतन शर्मा , पं.आशीष मिश्रा आदि उपस्तिथ थे ।