धर्म। हर धर्म में जो भी तीज त्यौहार है उनका वैज्ञानिक महत्व रहता है । और वह हमारे मनीषियों का शोधकार्य का दस्तावेज होता है । होली के सातवें दिन एक त्यौहार आता है जिसे शीतला सप्तमी कहते हैं । इस दिन ठंडा भोजन खाया जाता है । और इस दिन कोई भी गर्म वस्तु चाय धूम्रपान तक वर्जित रहता है । महिलाएं शीतला सप्तमी से पहले रात में भोजन बना कर रख लेती है और अगले दिन शाम तक इसी भोजन को परोसती है । कुछ चतुर महिलाएं सुबह दोपहर और शाम का भोजन अलग अलग बना कर रख लेती है । ताकी बोरीयत न हो । 1968 में अमेरिकन रिपोर्टर में एक रिसर्च पेपर का उद्धरण था की जर्मनी में एक शोध संस्थान में शीतला सप्तमी के भोजन का एब्सट्रैक्ट निकाला गया तो स्माल पाक्स का वैक्सीन तैयार हो गया था । तमाम वैज्ञानिक आश्चर्यचकित थे भारतीय भोजन की उत्कृष्ट उपयोगिता के लिए । बाद में 2002 में जब शीतलासप्तमी के भोजन के एक एक व्यंजन पर काम किया तो चार चीजें पकड़ में आई ।चावल गुड़ दही और रात भर भीगी हुई चने की दाल शीतला सप्तमी के भोजन में मुख्यतः ये चीजें बनाई जाती है पूरी , सब्जी दाल , चावल गुलगुले , भजिएगुड़ या गन्ने के रस में पकायाहुआ चावल दही और चने की भीगी हुई दाल जिसे पकाया नहीं जाता कच्ची खाई जाती है । ...यदि होली के बाद सप्तमी तिथि को गुड़ में पका चावल एक कटोरी , दही एक कटोरी , तथा एक कटोरी चने की भीगी दाल ( तीनों को मिलाकर लगभग 250 ग्राम) इन तीनों को मिला कर खा लिया जाए और 24 घंटे तक आपके पेट में कोई भी गर्म पेय अथवा खाद्यपदार्थ न जाने पाए तो ऐसे विशिष्ट बैक्टीरिया का उत्पादन हो जाता है जो एंटीबाडीज का काम करते हैं और पूरे साल भर आप सभी तरह के हानिकारक वायरस से सुरक्षित हो जाते है तथा किसी भी प्रकार का चर्मरोग, लीवर किडनी इन्फेक्शन नहीं होता । दावे से तो नहीं कहा जा सकता पर कोरोना वायरस से बचने का एक विकल्प शीतला सप्तमी भी हो सकता है ।इसलिए एक दिन ठंडा भोजन किया जा सकता है कोई अनर्थ नहीं हो जाएगा । अपने परिवार के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए इस प्रयोग से कोई हानि या नुकसान या दुश्प्रभाव की संभावना कतई नहीं है।
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