ग्रीन श्रेणी के अस्पताल संचालकों, चिकित्सकों को जारी हुए विभिन्न दिशा निर्देश-अब जाना होगा जेल

इंदौर 11 अप्रैल,2020 वर्तमान में इंदौर शहर में मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 के तहत संकामक रोग कोविड-19 हेतु अधिसूचित किया गया है। इसी प्रकार एपीडेमिक डिसीज़ ऐक्ट 1897 एवं मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 के अन्तर्गत समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय संस्थानों की समस्त प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल किया है कलेक्टर  एवं जिला दंडाधिकारी श्री मनीष सिंह ने इससे संबंधित कार्य से इंकार किए जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस आदेश के अंतर्गत किसी भी शासकीय अथवा निजी चिकित्सा संस्थान में समस्त स्वास्थ्य सुविधाएँ, डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी, स्वच्छता कार्यकर्ता, मेडीकल उपकरणों से संबंधित समस्त व्यक्ति, एम्बुलेंस सेवा, दवाईयों एवं डग्स से संबंधित समस्त कार्य, पानी एवं बिजली आपूर्ति, सुरक्षा संबंधि सेवाएँ, बायोमेडीकल वेस्ट प्रबंधन, खाद्य एवं पेयजल प्रावधान एवं प्रबंधन आदि समस्त श्रेणी में संलग्न व्यक्ति एवं उपकरण स्वास्थ्य सुविधाएं देने हेतु इंकार नहीं कर सकेंगे।
  उल्लेखनीय है कि कलेक्टर श्री मनीष सिंह डिस्ट्रीक्ट डिजास्टर कमेटी के अध्यक्ष हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत् उन्होंने समस्त प्रकार की ऐसी चिकित्सकीय संसाधन, सर्वीसेज सुविधाएँ देने के निर्देश दिए हैं जिससे वर्तमान कोविड-19 संक्रमण को रोका जा सके एवं इससे प्रभावितों का उपचार किया जा सके।
 उन्होंने ग्रीन श्रेणी के सभी अस्पतालों को  निर्देश दिए हैं  कि दो दिवस के अन्दर सभी ग्रीन श्रेणी के अस्पताल का नियमित स्टाफ जिसमें समस्त पैरामेडीकल स्टाफ, स्वीपर, एम्बुलेंस चालक आदि सम्मिलित है, अनिवार्यतः उपस्थित हों। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने अस्पताल संचालकों को निर्देशित किया है कि  12 अप्रैल 2020 को प्रातः 10 बजे तक ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों का जो भी स्टाफ उपस्थित नहीं होता है, उसकी सूचना, नाम, सही घर का पता एवं मोबाईल नंबर सहित श्री चंद्रमौली शुक्ला के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे।
 उन्होंने बताया कि ऐसे समस्त कर्मचारियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 187, 188, 269, 270, 271 एवं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की सुसंगत धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया जाकर उक्त धाराओं के साथ-साथ सीआरपीसी 107,116,151 के तहत् उनको गिरफ्तार किया जाकर उन्हें अस्थाई जेल में जब तक रखा जावेगा तब तक कि ये लोग इंदौर शहर के नागरिकों की समस्या ग्रस्त समय में अपने चिकित्सालय में सेवा देने हेतु सहमति नहीं दे। यह भी निर्देशित किया गया है कि परामर्श डॉक्टर पूर्ववत ही अनिवार्यतः मरीजों की सेवा हेतु ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों में उपस्थित होंगे तथा पूरी तन्मयता एवं लगन सेवा देंगे। समस्त परामर्श चिकित्सकों को जिला प्रशासन की ओर से अनुरोध है कि इस विपत्ति समय शहर के नागरिकों को उनकी सेवाओं की अत्यंत आवयकता है।
 उन्होंने बताया कि प्रशासन,अस्पतालों को सम्पूर्ण संसाधन जुटाने में आवश्यक सहयोग भी मुहैया करवाएगा। चिकित्सकों को यह भी निर्देशित किया जाता है कि इन निर्देशों की लापरवाही किए जाने पर नेशनल मेडीकल कमीशन एक्ट-2019 की धारा 27 के तहत इसे प्रोफेशनल एंड एथिकल मिसकंडक्ट की श्रेणी में माना जाकर रजिस्ट्रेशन निरस्तीकरण तथा प्रेक्टिस से प्रतिबंध की कार्यवाही की जायेगी। ऐसे अस्पताल जिसमें कोविड-19 पाजीटीव मरीजों का ईलाज हो रहा है वे रेड, ऐसे अस्पताल जिसमें कोविड-19 वायरस से मिलते जुलते लक्षण वाले मरीजों का ईलाज हो रहा है वे यलो श्रेणी एवं  ग्रीन श्रेणी ऐसे अस्पताल जिसमें सभी अन्य प्रकार की श्रेणी के मरीजों का ईलाज होगा,जो कोविड-19 से प्रभावित न हो, लक्षण न हो।
  उन्होंने बताया कि शहर में मरीजों की संख्या के मान से कोविड-19 वायरस से प्रभावित मरीजों का प्रतिशत अत्यंत कम है, अतः 99 प्रतिशत से भी अधिक मरीज ग्रीन श्रेणी में अपना ईलाज रखने की पात्रता रखते हैं। इस कारण ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों की सर्वीस पूर्ववत उत्कृष्ट रूप से चलती रहे, यह दायित्व अस्पताल संचालकगणों के साथ-साथ ऐसे सभी सम्मानीय चिकित्सकों का भी है, अतः यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की भी है कि इन अस्पतालों से वर्तमान परिस्थतियों में समुचित सेवाएँ मिलती रहे।
 सभी अस्पताल संचालनकर्ताओं को यह भी आदेशित दिया गया है कि प्रत्येक ग्रीन अस्पताल के अन्दर अथवा आवश्यकतानुसार बाहर एक व्यवस्थित आईसोलेशन झोन/स्क्रीनिंग क्षेत्र का निर्माण किया जाए। स्क्रीनिंग में अगर यह पाया जाता है कि मरीज को यलो श्रेणी के अस्पताल में शिफ्ट किया जाना है तो उस मरीज को संभालकर वहीं आईसोलेशन क्षेत्र में (यह अस्पताल के प्रवेश के कक्ष के रूप में भी हो सकता है) रखा जाय एवं किस यलो अस्पताल में जाना है यह वहाँ का ड्यूटी डॉक्टर मरीज को अवगत कराये। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि किसी भी मरीज को कोई भी ग्रीन श्रेणी का अस्पताल बिना किसी ठोस कारण के ईलाज के लिए मना नहीं कर सकेगा, अगर वह मरीज यलो श्रेणी का है तब भही उसे ससम्मान आईसोलेशन कक्ष/क्षेत्र में बैठाया जाय एवं उपरोक्तानुसार मार्गदर्शन दिया जाय। ऐसे मरीज जिन्हें किसी भी अस्पताल में इलाज प्राप्त होने में समस्या उत्पन्न हो रही है, वे कलेक्टर कार्यालय के  कंट्रोल रूम में 0731-2363009 पर शिकायत दर्ज करवा सकता है। 
 ग्रीन अस्पताल के संबंध में ड्यूटी डॉक्टर को यह सुविधा दी गई है कि वे 0731-2363009 नंबर पर फोन लगाकर किस यलो अस्पताल में बेड खाली है, की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर किसी ग्रीन अस्पताल के ड्यूटी डाक्टर द्वारा गलत मरीज का यलो अस्पताल में डायवर्ट किया जाता है तो इस आदेश का उल्लंघन माना जावेगा तथा उस डॉक्टर एवं अस्पताल संचालक को दोषी माना जावेगा। उल्लेखनीय है कि ग्रीन अस्पताल के सफल संचालन हेतु श्री चन्द्रमौली शुक्ला (9406801008 , email greenhospitalinfo@gmail.com) को जिम्मेदारी दी गई है। वे कलेक्टर की ओर से समस्त निजी अस्पतालों से संपर्क में रहेंगे। ग्रीन श्रेणी के विभिन्न अस्पतालों में विभिन्न अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है, जो प्रत्येक अस्पताल के संचालन में नजर रखेंगे। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा सभी ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों को एक फार्मेट तैयार कर दिया जावेगा, जिसे नियमित रूप से भरकर श्री चन्द्रमौली शुक्ला, आईएएस  को दिया जाना अनिवार्य होगा।