शताब्दी में पहली बार, "शब ए बरात" पर घरों में इबादत

भोपाल। शब ए बरात के दिन राजधानी भोपाल में इस बार लोग कब्रिस्तान से दूर रहे और मस्जिदों में इबादत करने भी नहीं पहुँचे। कोरोना वायरस के चलते किया गया लॉक डाउन के दौरान ऐसे हालात बने कि जिला प्रशासन ने अकीदत मंदो को घर पर ही इबादत करने की नसीहत दी थी। इसी पर अमल करते हुए अकीदत मंदो ने घर में ही रात भर रतजगा कर इबादत की और कब्रिस्तानो में अपने पूर्वजों को महूरत की दुआ करने के लिए नहीं पहुंचे शब ए बरात के दिन इबादत करने का बेहद ही शबाब है। शहर काजी मुश्ताक अली नदवी ने पहले से ही लोगों को हिदायत दी थी कि वह अपने घरों में रहकर ही इबादत करें और कब्रिस्तानो में नहीं जाएं। कोरोना वायरल संकट के दौरान फूल लॉक डाउन में भोपाल में गुरुवार को शब ए बारात बंद रहे कब्रिस्तान। इस बार लोगों के घरों में हलवा बना तो लेकिन तक्सीम नहीं हो सका एक दूसरे के घरों पर हलवा भेजने की रिवायत पुरानी है लेकिन इस बार हलवा नहीं पहुंचने से उन गरीब मोहतजो को उनका हक नहीं मिल पाया जो हर साल शबे कदर पर उनको तक्सीम किया जाता है। हालांकि कई घरों में हलवा भी नहीं बन सका क्योंकि सामान की किल्लत और लाख डाउन के चलते सख्त हुए पहरे ने लोगों को सामान खरीदने से वंचित कर दिया था।महामारी से हिफाजत के लिए हुई दुआ महामारी कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों ने घरों में इबादत की और दुआ करी के अल्लाह इस महामारी से हमें निजात दिला दें और हमारे मुल्क को पहले की तरह पटरी पर ला दे। इस तरह की दुआएं मस्जिदों में इमाम और मुअज्जिन के अलावा मस्जिदों में लोग नहीं थे। घरों में इबादत करने के दौरान लोगों ने नस्ले पड़ी और कुरान की तिलावत की और अल्लाह से दुआ की के अल्लाह हमें कोरोना वायरस के इस महामारी से हमको निजात दिला दे।